परिचय
'कुरुक्षेत्र' रामधारी सिंह दिनकर की कालजयी रचना
है, जो महाभारत के
युद्ध के दार्शनिक और
नैतिक पहलुओं को उजागर करती
है। यह काव्य केवल
युद्ध की कथा नहीं
है, बल्कि समाज में शांति, न्याय और मानवीय मूल्यों
के महत्व पर गहन विचार
प्रस्तुत करता है।
कहानी का सारांश: इस काव्य में
महाभारत के युद्ध के
बाद के परिदृश्य को
चित्रित किया गया है, जहां युधिष्ठिर और भीष्म के
संवाद के माध्यम से
युद्ध की विनाशकारी प्रकृति
और उसके नैतिक पहलुओं पर चर्चा होती
है। दिनकर ने इस महाकाव्य
में युद्ध के औचित्य, अहिंसा
और न्याय के विषयों को
प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया
है।
मुख्य विषय:
·
युद्ध
की नैतिकता
·
अहिंसा
और शांति
·
न्याय
और अन्याय
·
समाज
में नैतिक मूल्यों की स्थापना
·
मानवीय
संवेदनाएं
शैली और भाषा: दिनकर की भाषा ओजपूर्ण,
गहरी और प्रवाहमय है।
उन्होंने सरल और प्रभावशाली शैली
में गहरे दार्शनिक विचार प्रस्तुत किए हैं, जिससे पाठकों को विषय को
समझने में आसानी होती है।
पाठकों के लिए संदेश: यदि आप युद्ध के
नैतिक पहलुओं, शांति की आवश्यकता और
मानवीय मूल्यों को गहराई से
समझना चाहते हैं, तो 'कुरुक्षेत्र' अवश्य पढ़ें। यह महाकाव्य आपको
जीवन के मूल्यों और
न्याय के प्रति नई
दृष्टि प्रदान करेगा।
उपसंहार: 'कुरुक्षेत्र' केवल युद्ध की गाथा नहीं है, बल्कि यह युद्ध की भयावहता और मानवीय मूल्यों के प्रति चेतना जगाने वाली कालजयी रचना है। दिनकर की यह रचना आज भी समाज के लिए प्रासंगिक है।
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